कोरोना से बाद में मरते, भूख से पहले मर जाते... इसलिए पैदल ही निकल आए

कहा दिल्ली बंद है और मकान मालिक भी वहां रहने नहीं दे रहे। घर पर मां भी बीमार है, इसलिए हम सब पैदल ही निकल आए। हालांकि रास्ते में उन्हें जगह-जगह लोगों ने खाने पीने का सामान दिया। पुलिस ने भी बीच-बीच में उनका सहयोग किया।


दिल्ली से पैदल चलकर आने वाले अशफाक ने बताया कि दिल्ली में बंदी के बाद कोई काम नहीं था। वह जिस दुकान पर सिलाई करते हैं, वहां उन्हें रोजाना के हिसाब से पैसे मिलते थे। पिछले कुछ दिनों से काम बंद है तो पैसे नहीं मिले। मकान मालिक ने भी उन्हें घर से जाने को कह दिया। घर पर मां बीमार है। उसकी भी चिंता है।

उधर, दिल्ली से अपने घर शाहजहांपुर आने के लिए उन्हें कोई साधन भी नहीं मिला तो वह और उनके 11 अन्य साथी पैदल ही वहां से चल दिए। दिल्ली में रहते तो कोरोना से बाद में, भूख से पहले मर जाते।

आमिर ने बताया कि दिल्ली में कोई परिवहन का साधन नहीं मिल रहा है। ऐसे में वे लोग पहले रेल की पटरियों के रास्ते और बाद में हाईवे पर चलके अपने घर को आने लगे। बीच में कहीं-कहीं कोई वाहन मिल जाता था तो वे सभी उस पर सवार हो जाते थे। इसके बाद फिर पैदल चलने लगते। वहीं, सादाब ने बताया कि रास्ते में उन्हें लोगों ने बहुत सहयोग किया।

सड़क के किनारे लोगों ने उन्हें खाने के पैकेट दिए। पुलिस भी जगह-जगह उनकी मदद करती रही। बरेली में भी आने पर यहां की लोकल पुलिस ने उन्हें खाने का पैकेट दिया। अब वह थोड़ा आराम कर दोबारा अपने घर की ओर निकल पड़े हैं। हालांकि इस दौरान इन लोगों के पांवों के छाले पीड़ा को बयां कर रहे थे।